दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के लाभ को शीघ्र-अतिशीघ्र पाने के लिए प्रत्येक शुक्ल और कृष्ण पक्ष के प्रदोष को व्रत धारण करें।
सुबह प्रातः काल शिवजी की पूजा अर्चना तथा शिवलिंग का जलाभिषेक करें।
शाम में किसी शिव मंदिर में जाएँ और सर्वप्रथम शिवजी का ध्यान और संकल्प करें।
तत्पश्चात शिवलिंग का जलाभिषेक करें।
भगवान शिव के सामने दो बाती के दीपक को जलाएं, अर्थात एक हीं दीपक में दो अलग अलग बाती लगी हो।
ध्यान रखें की दिए में लम्बी वाली बाती होनी चाहिए। गाय के घी का दीया सर्वोत्तम माना गया है।
दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रम्
विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय । कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ १॥ गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय । गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ २॥ भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय । ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ३॥ चर्मम्बराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय । मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ४॥ पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय । आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ५॥ भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय । नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ६॥ रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय । पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ७॥ मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय । मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ८॥ वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणम् । सर्वसम्पत्करं शीघ्रं
सुबह प्रातः काल शिवजी की पूजा अर्चना तथा शिवलिंग का जलाभिषेक करें।
शाम में किसी शिव मंदिर में जाएँ और सर्वप्रथम शिवजी का ध्यान और संकल्प करें।
तत्पश्चात शिवलिंग का जलाभिषेक करें।
भगवान शिव के सामने दो बाती के दीपक को जलाएं, अर्थात एक हीं दीपक में दो अलग अलग बाती लगी हो।
ध्यान रखें की दिए में लम्बी वाली बाती होनी चाहिए। गाय के घी का दीया सर्वोत्तम माना गया है।
दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रम्
विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय । कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ १॥ गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय । गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ २॥ भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय । ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ३॥ चर्मम्बराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय । मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ४॥ पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय । आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ५॥ भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय । नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ६॥ रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय । पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ७॥ मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय । मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ८॥ वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणम् । सर्वसम्पत्करं शीघ्रं