🌼🌷Ketki ka phool🌼🌷
हिन्दू धर्म में फूलों को भगवान के समक्ष अर्पित किया जाता है। ताकि भगवान प्रसन्न हों और अपना आशीर्वाद हम पर बनाएं रखें। गुलाब🌹, कमल, चंपा 🌸, चमेली 🌼 आदि और भी कई ऐसे फूल हैं जिन्हें भगवान के चरणों में चढ़ाने से व्यक्ति के सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं।
आप में से अधिकतर लोगों को यह तो पता होगा कि केतकी का फूल भगवान शिव को अर्पित नहीं किया जाता है लेकिन क्या आप इसके पीछे का कारण भी जानते हैं। अगर नहीं तो आज हम आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं।
एक बार ब्रह्म देव को अपने सर्वोपरी होने का अहंकार हो गया। जिसके बाद उन्होंने भगवान विष्णु के साथ इस विषय पर बहस छेड़ दी। तब भगवान शिव ने खंबे के रूप में प्रकट होकर भगवान विष्णु और ब्रह्म देव से उनके दोनों छोर पता लगाने के लिए कहा।
यानी कि जो भी पहले भगवा विष्णु के ज्योतिर्लिंग का आखिरी सिरा पहले ढूंढेगा उन्हें ही श्रेष्ठ माना जाएगा। जिसके बाद खंबे के ऊपरी भाग का छोर पता लगाने जहां एक ओर भगवान विष्णु गए तो निचले छोर का पता लगाने ब्रह्म देव ने अपनी यात्रा शुरू की।
ढूंढने के बाद भी जब भगवान विष्णु को महादेव के ज्योतिर्लिंग का छोर नहीं मिला तो उन्होंने अपनी यात्रा रोक कर महादेव के समक्ष यह स्वीकार किया कि वह अंतिम सिरा नहीं ढूंढ पाए। वहीं, ब्रह्मा ने यात्रा समाप्त तो की लेकिन एक झूठ के साथ।
दरअसल, जब ब्रह्म देव खंवे का दूसरा सिरा ढूंढने निकले तो उनके पीछे पीछे केतकी का फूल भी आने लगा। जब ब्रह्म देव ने यह देखा तो उन्होंने एक युक्ति के तहत महादेव के सामने झूठ बोल दिया कि उन्होंने सिरा ढूंढ लिया है और अपने इस झूठ में केतकी को शामिल करते हुए उन्हें गवाह बना लिया।
जहां एक तरफ महादेव के समक्ष बोले गए इस झूठ के चलते ब्रह्म देव को शिव शंकर के क्रोध का सामना करना पड़ा और महादेव ने उनका पंचम शीश काट दिया .
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